लखनऊ | 28 अक्टूबर 2025
नवाबों का शहर लखनऊ अब सिर्फ तहज़ीब और अदब के लिए नहीं, बल्कि अपने स्वाद और पाक-कला के लिए भी दुनिया के नक्शे पर छा गया है। यूनेस्को ने लखनऊ को “क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी” घोषित किया है। इस घोषणा के साथ ही लखनऊ अब दुनिया के उन चुनिंदा शहरों में शामिल हो गया है जो रचनात्मकता और संस्कृति को विकास का केंद्र मानते हैं।
🍴 क्यों चुना गया लखनऊ?
यूनेस्को ने लखनऊ की ओवधी पाक परंपरा को विशेष रूप से सराहा है — एक ऐसी रसोई जो धीमी आँच पर पकने वाले “दम पुख्त” व्यंजनों, सुगंधित बिरयानी, गलौटी कबाब और शीरमाल जैसी delicacies के लिए जानी जाती है।
यह चयन सिर्फ स्वाद के आधार पर नहीं हुआ, बल्कि इस बात पर भी कि कैसे लखनऊ में भोजन एक सांस्कृतिक अनुभव है — जो हर गली, बाज़ार और चौक में जीवित है।
🏛️ यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क क्या है?
यूनेस्को ने 2004 में Creative Cities Network (UCCN) की शुरुआत की थी।
इसका मकसद है — उन शहरों को वैश्विक मंच देना जो कला, साहित्य, डिज़ाइन, संगीत, फिल्म, गैस्ट्रोनॉमी और मीडिया आर्ट्स जैसे क्षेत्रों में रचनात्मकता को अपनी पहचान बनाते हैं।
वर्तमान में दुनिया भर के 300 से अधिक शहर इस नेटवर्क का हिस्सा हैं। भारत से पहले जयपुर (क्राफ्ट्स), वाराणसी (म्यूज़िक), चेन्नई (म्यूज़िक), मुंबई (फिल्म), हैदराबाद (गैस्ट्रोनॉमी), कोझिकोड (लिटरेचर) और ग्वालियर (म्यूज़िक) इसमें शामिल हो चुके हैं।
🌍 भारत के खाद्य मानचित्र पर नई पहचान
लखनऊ का नाम इस सूची में जुड़ना भारत के लिए गर्व का क्षण है।
जहां हैदराबाद की डेक्कनी बिरयानी पहले से इस वैश्विक सूची में थी, अब लखनऊ की ओवधी दावत ने भी अपनी जगह बना ली है।
यह मान्यता न केवल शहर की पहचान को मज़बूत करेगी, बल्कि खाद्य पर्यटन (Food Tourism) और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बड़ा प्रोत्साहन देगी।
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💡 क्या मिलेगा इस मान्यता से?
- लखनऊ को वैश्विक पाक-नक्शे पर ब्रांड वैल्यू मिलेगी।
 - स्थानीय शेफ्स, स्ट्रीट फूड वेंडर्स और पाक-शिल्पियों को प्रशिक्षण और इंटरनेशनल सहयोग के अवसर बढ़ेंगे।
 - सरकार को सांस्कृतिक संरक्षण और गैस्ट्रोनॉमी से जुड़े नए प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग व प्राथमिकता मिलेगी।
 - “गैस्ट्रोनॉमिक सिटी टूरिज़्म” जैसे नए सेक्टर में रोज़गार के अवसर खुलेंगे।
 
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⚠️ चुनौतियाँ भी हैं सामने
हालांकि यह उपलब्धि बड़ी है, पर इसे बनाए रखना उतना ही चुनौतीपूर्ण होगा।
लखनऊ को अपने खाद्य सुरक्षा मानकों, स्वच्छता, ब्रांडिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मज़बूत करना होगा।
यूनेस्को का दर्जा स्थायी नहीं होता — शहरों को लगातार नवाचार और संरक्षण दोनों पर काम करना पड़ता है।
🔮 भविष्य का स्वाद: संस्कृति से विकास तक
यह मान्यता केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि यह संकेत है कि संस्कृति भी विकास का इंजन बन सकती है।
लखनऊ ने दुनिया को दिखाया है कि परंपरा को सहेजते हुए भी आधुनिकता से तालमेल बैठाया जा सकता है।
अब सवाल यह नहीं कि लखनऊ क्या खाता है — बल्कि यह कि लखनऊ कैसे सोचता है, कैसे परोसता है, और कैसे जोड़ता है।








